Wednesday, June 13, 2007

कहूं कैसे मेरे पिया कौन
-प्रीति गाँधी ०७/०६/२००१


करती तुम प्रश्न रोज़ जो
और मैं रह जाती मौन,
माँ, तुम ही बतलाओ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
न जाना है नाम जिसका
न जाना है देस
देखी न सूरत जिसकी कभी
न जाना है भेस,
माँ, तुम ही बतलाओ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
जिसका न संदेस कोई
न कोई है पाती,
मिली न जिस से मैं कभी
और न सपनों में छवी आती ,
माँ, तुम ही बतलाओ ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
न जानूं कौन है वह
और आएगा किस नगर से,
बिठा डोली में मुझे वह,
संग लेजाएगा किस डगर से,
माँ, तुम ही बतलाओ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?





Monday, June 04, 2007

चुनाव
-प्रीति भाटिया, १९९२




"भाईयों," जोश में चिल्लाया,
भ्रश्टाचारिय पार्टी का लीडर,
"अगर जीत कर आया
विरोधी दल का वह गीदड़,
तो आएगा आतंक का तूफ़ान।
महंगी होगी हर वस्तु, हर समान।
न जाने देश कि क्या दशा होगी,
हर चहरे पर निराशा ही निराशा होगी।


इसी लिए, मेरे देश बंधुओं,
हमे जिताओ, वोट दो।
अगर मेरी पार्टी जीती,
तो कर डालूँगा नष्ट, हर भ्रष्ट रीति।
यह देता हूँ मैं वचन,
बदलूंगा देश को,
लाऊँगा अनुशासन।
गरीबी कि रेखा को ऊपर उठाओंगा,
इस देश को मैं स्वर्ग बनाऊँगा।"


फिर कुछ दिनों पश्चात्
चुनाव के जब निकले परिणाम,
तब सचमुच ही गरीबी कि रेखा को
ऊपर उठाने के होने लगे थे प्रयास,
क्योंकि, अब तो
भीक के भी बढ गए थे दाम।
और मिनिस्ट्री के आने पर,
अनुशासन को छोड़,
आगये सब चोर-ही-चोर!