कहूं कैसे मेरे पिया कौन
-प्रीति गाँधी ०७/०६/२००१
करती तुम प्रश्न रोज़ जो
और मैं रह जाती मौन,
माँ, तुम ही बतलाओ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
न जाना है नाम जिसका
न जाना है देस
देखी न सूरत जिसकी कभी
न जाना है भेस,
माँ, तुम ही बतलाओ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
जिसका न संदेस कोई
न कोई है पाती,
मिली न जिस से मैं कभी
और न सपनों में छवी आती ,
माँ, तुम ही बतलाओ ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
न जानूं कौन है वह
और आएगा किस नगर से,
और आएगा किस नगर से,
बिठा डोली में मुझे वह,
संग लेजाएगा किस डगर से,
माँ, तुम ही बतलाओ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
2 comments:
aapki kavita achchhi lagi.
thank you for your kind words.
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