Wednesday, June 13, 2007

कहूं कैसे मेरे पिया कौन
-प्रीति गाँधी ०७/०६/२००१


करती तुम प्रश्न रोज़ जो
और मैं रह जाती मौन,
माँ, तुम ही बतलाओ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
न जाना है नाम जिसका
न जाना है देस
देखी न सूरत जिसकी कभी
न जाना है भेस,
माँ, तुम ही बतलाओ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
जिसका न संदेस कोई
न कोई है पाती,
मिली न जिस से मैं कभी
और न सपनों में छवी आती ,
माँ, तुम ही बतलाओ ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?
न जानूं कौन है वह
और आएगा किस नगर से,
बिठा डोली में मुझे वह,
संग लेजाएगा किस डगर से,
माँ, तुम ही बतलाओ,
कहूं कैसे मेरे पिया कौन?





2 comments:

हरीश सिंह said...

aapki kavita achchhi lagi.

Preeti said...

thank you for your kind words.