-प्रीति भाटिया, १९९२
"भाईयों," जोश में चिल्लाया,
भ्रश्टाचारिय पार्टी का लीडर,
"अगर जीत कर आया
तो आएगा आतंक का तूफ़ान।
महंगी होगी हर वस्तु, हर समान।
न जाने देश कि क्या दशा होगी,
हर चहरे पर निराशा ही निराशा होगी।
इसी लिए, मेरे देश बंधुओं,
हमे जिताओ, वोट दो।
हमे जिताओ, वोट दो।
अगर मेरी पार्टी जीती,
तो कर डालूँगा नष्ट, हर भ्रष्ट रीति।
यह देता हूँ मैं वचन,
बदलूंगा देश को,
लाऊँगा अनुशासन।
गरीबी कि रेखा को ऊपर उठाओंगा,
इस देश को मैं स्वर्ग बनाऊँगा।"
फिर कुछ दिनों पश्चात्
चुनाव के जब निकले परिणाम,
तब सचमुच ही गरीबी कि रेखा को
ऊपर उठाने के होने लगे थे प्रयास,
ऊपर उठाने के होने लगे थे प्रयास,
क्योंकि, अब तो
भीक के भी बढ गए थे दाम।
भीक के भी बढ गए थे दाम।
और मिनिस्ट्री के आने पर,
अनुशासन को छोड़,
आगये सब चोर-ही-चोर!
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