Thursday, April 22, 2010

नया जहां



बहुत दिन हुए.
आज कुछ कर जाएं नया
घर तो है खाली
दिल में हज़ारों अरमां
शुक्रगुज़ार हैं..
दिया तुने हमका यह मौका ज़िन्दगी
आज फिर हम सजाएं
सपनों का नया जहां!
-प्रीती भाटिया
अप्रैल २२, २०१०

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