मैं तो हूँ
०८/०६/२००१
जग ना दे सका साथ तो क्या,
सखी, मैं तो हूँ.
माना, हूँ दूर बहुत
पर इतनी भी मजबूर नही
की घाव दील के ना देखूं
व्याकुल मन को ना पहचान सकूं.
जग ना दे सका साथ तो क्या
सखी, मैं तो हूँ.
छोड़ गए बालम तुम्हे,
और मैं साथ ना बाट नीहार सकूं,
इतनी भी भोली नही
की वीरह-वीयोग ना जान सकूं.
जग ना दे सका साथ तो क्या,
सखी, मैं तो हूँ.
न जान पायीं तुम कोमल स्पर्श,
न मैं ही दो बोल कह सकूं,
आँसू ना पोंछ पाई तो क्या,
एक मीठी सी मुस्कान तो दूं.
जग ना दे सका साथ तो क्या,
सखी, मैं तो हूँ.
© Preeti Bhatia
०८/०६/२००१
जग ना दे सका साथ तो क्या,
सखी, मैं तो हूँ.
माना, हूँ दूर बहुत
पर इतनी भी मजबूर नही
की घाव दील के ना देखूं
व्याकुल मन को ना पहचान सकूं.
जग ना दे सका साथ तो क्या
सखी, मैं तो हूँ.
छोड़ गए बालम तुम्हे,
और मैं साथ ना बाट नीहार सकूं,
इतनी भी भोली नही
की वीरह-वीयोग ना जान सकूं.
जग ना दे सका साथ तो क्या,
सखी, मैं तो हूँ.
न जान पायीं तुम कोमल स्पर्श,
न मैं ही दो बोल कह सकूं,
आँसू ना पोंछ पाई तो क्या,
एक मीठी सी मुस्कान तो दूं.
जग ना दे सका साथ तो क्या,
सखी, मैं तो हूँ.
© Preeti Bhatia
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