थोड़ी यादें चाहीएं
०३/१६/०७
थोड़ी यादें चाहीएं.
बचपन की प्यार भरी
वो छेड़- छाड़ वाली
कुछ खट्टी-मीठी
बातें चाहीएं.
शाम की वह धीमी बर्खा
सुबह का वह ज़ोरदार तूफ़ान
वह उठती खुशबू भीनी भीनी
वह चाँदनी बीखेर्ता चाँद
यह सब यादें बांट्लो मुझसे
और वह खुशबूएं भी सारी
जिन में छुपी हो माँ की ममता
और कान्हा की नटखट प्यारी.
बांट्लो सारी बातें
जिनसे मुह में आता हो
गरम पकोडों का स्वाद
या पापा के हांथो की
वह चाय की प्याली याद.
थोड़ी यादें चाहीएं.
बचपन की प्यार भरी
वो छेड़- छाड़ वाली
कुछ खट्टी-मीठी
बातें चाहीएं.
प्रीती भाटीया
© Preeti Bhatia
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